शैंपू, आज हमारे हेयर केयर रूटीन का बेहद जरूरी हिस्सा है। लेकिन बीते दौर में शैंपू का इस्तेमाल इतना पसंद नहीं किया जाता था। तब ज्यादातर लोग साबुन से ही सिर से लेकर पैर तक धोया करते थे। धीरे-धीरे लोगों ने शैंपू के महत्व को समझा और उसे अपने बाथरूम में जगह देना शुरू कर दिया।
तभी से लेकर आज तक शैंपू की ढेरों वैरायटी और टाइप हमारे पास आ चुके हैं। अब हमें ये सोचना होता है कि हमारे लिए कौन सा शैंपू बेस्ट है और कौन सा नहीं। मार्केटिंग के इस दौर में हर कंपनी लुभावने विज्ञापनों के जरिए ये दावा करती है कि उनका प्रोडक्ट ही बेस्ट है। ऐसे में हम ये कैसे तय करें कि हमारे लिए बेस्ट शैंपू कौन सा है?
भारत में शैंपू का इतिहास (History Of Shampoo In India)
रीठा को वैदिक ग्रंथों और आयुर्वेद में ‘क्षुण’ (Ksuna) कहकर संबोधित किया गया है। रीठा का पल्प प्राकृतिक सरफेक्टेंट है, जो बालों को साफ करने में मदद करता है। रीठा के पल्प को बालों में घिसने पर सिर में बनने वाले झाग को संस्कृत में ‘फेनक’ (Phenaka) कहा जाता था। इसके इस्तेमाल से बाल मुलायम, चमकदार बनते थे और उलझे बाल भी सुलझ जाते थे।
बालों को धोने में काम आने वाले अन्य उत्पादों में शिकाकाई (Acacia Concinna), गुड़हल के फूलों (Hibiscus Flowers), रीठा (Sapindus Mukorossi) और अरप्पू (Arappu/ Albizzia Amara) का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है।
रीठा का उपयोग बालों को धोने के लिए किस हद तक हो रहा था, ये इसी बात से समझा जा सकता है कि सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने भी रीठा के पेड़ और उसके फलों से बालों को धोने का जिक्र 16वीं शताब्दी के अपने ग्रंथ में किया है।
शैंपू से बाल धोना क्यों जरूरी है? (Why Is It Important To Wash Hair With Shampoo?)
शैंपू को इस्तेमाल करने का मुख्य कारण बालों से अनचाही गंदगी को बाहर निकालना है। इसी गंदगी में बालों की जड़ों से निकलने वाला प्राकृतिक तेल (सीबम), धूल-मिट्टी, गंदगी, डेड स्किन और हवा में मौजूद हैवी मैटल्स शामिल होते हैं।
यही सारी चीजें एक साथ मिलकर बालों की जड़ों के आसपास चिपचिपी परत सी बना लेती हैं, जिसकी वजह से बालों की देखभाल हमारे लिए काफी मुश्किल हो जाती है। अगर यही स्थिति लंबे समय तक रहे तो बाल न सिर्फ अधिक मात्रा में झड़ने और टूटने लगते हैं बल्कि इनकी वजह से गंजेपन/मेल पैटर्न बाल्डनेस की समस्या भी हो सकती है।
कैसे करें सही शैंपू का चुनाव? (How To Choose Right Shampoo?)
लोगों के बीच शैंपू की मार्केटिंग ऐसे जादुई प्रोडक्ट के तौर पर की जाती है जो बालों की सभी समस्याओं को दूर कर सकता है। सामान्य शैंपू के चुनाव से आप ये तय कर सकते हैं कि बालों को धोने के बाद उनमें कितनी कंडीशनिंग और सॉफ्टनेस रहेगी।
उदाहरण के लिए, अगर शैंपू ऑयली बालों के लिए बनाया गया है तो उससे बालों को साफ करने पर अतिरिक्त तेल बालों से निकल जाएगा। लेकिन अगर उसी शैंपू को आप ड्राई बालों पर इस्तेमाल करें तो बालों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए जरूरी है कि शैंपू खरीदने से पहले आप बालों के टाइप और जरुरत का ख्याल रखें और उसके बाद ही शैंपू खरीदने का फैसला करें।
Simco Oxyveda Herbal Shampoo Amla & Bhringraj 500 Gram
About this item Giving you long hair Controls hair fall and prevent from dandruff Strenghens Hair Root Up to 100% dandruff free Capacity: 500 ml Reconstructing
Out of stock
त्वचा विशेषज्ञों को कई बार मरीज़ों और यहां तक कि सहकर्मियों से भी सवाल पूछने पड़ते हैं कि वे अपने बालों को साफ़, स्वस्थ और सुंदर कैसे बनाए रखें। इसलिए, उपलब्ध बाल देखभाल उत्पादों की परिचितता और बुनियादी ज्ञान से उन्हें अपने मरीजों का उचित मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी। एक शैम्पू न केवल अपने प्राथमिक कार्य के रूप में खोपड़ी की त्वचा और बालों की सफाई प्रदान करता है, बल्कि इसके अलावा बालों को कंडीशन और सुंदर बनाने का भी काम करता है और विभिन्न खोपड़ी विकारों के प्रबंधन में सहायक के रूप में कार्य करता है। इसे प्राप्त करने के लिए, एक शैम्पू प्रदान करने के लिए विभिन्न सामग्रियों को सही अनुपात में मिलाया जाता है जो विभिन्न प्रकार के बालों और बालों की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त होता है। शैम्पू बनाने में जिन सामग्रियों का उपयोग किया जाता है उनमें डिटर्जेंट, कंडीशनर, गाढ़ा करने वाले पदार्थ, अलग करने वाले एजेंट, पीएच समायोजक, संरक्षक और विशेष योजक शामिल हैं। हेयर कंडीशनर को बालों की प्रबंधन क्षमता में सुधार करने, बालों की स्थैतिक बिजली को कम करने और चमक जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बालों की स्थिति और व्यक्ति की आवश्यकता के आधार पर इनका कई तरह से उपयोग किया जाता है। यह लेख इन उत्पादों के उपयोग के संबंध में बुनियादी और व्यावहारिक पहलुओं को सामने रखने का प्रयास करता है।